आधार पर सुप्रीम फैसला
- आधार Act. 2016 के ऊपर केस था कि क्या यह संवैधानिक रूप से सही है या नहीं?
- S.C. ने फैसला 4:1 से दिया। जिसमें 4 न्यायाधीशों ने कहा कि यह कानून संवैधानिक है जबकि 1 न्यायाधीश ने कहा कि यह संवैधानिक ठीक नहीं है।
- Act. की धारा 33(2), 47, 57 ठीक नहीं है।
AADHAAR ACT. 2016 –
- The Aadhaar (Targeted delivery of financial and other subsidies, benefits and services) Act, 2016 is a Money Bill of the parliament of India.
- इसको मनी बिल के रूप में पास करवाया गया क्योंकि राज्यसभा में बिल के रूकने की संभावना को देखते हुए इसे धन विधेयक के रूप में पास करवाया क्योंकि इस पर राज्यसभा के पास सीमित शक्ति (मात्र 14 दिन) है।
Note:- धन विधेयक है या नहीं इस पर अंतिम निर्णय लोकसभा के स्पीकर का होता है तथा इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है।
- सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है और कहा कि
- आयकर रिटर्न और स्थायी खाता नम्बर (पैन) के लिए आधार अनिवार्य रहेगा।
- बैंक खाते, मोबाइल फोन, स्कूल एडमीशन और CBSE, NEET, UGC के लिए आधार अनिवार्य नहीं है।
- सब्सिडी वाली सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए भी आधार जरूरी नहीं होगा।
- कोई व्यक्ति निजी तौर पर या निजी कंपनी आधार की प्रामाणिकता नहीं मांग सकती।
- यदि बच्चों को कल्याणकारी स्कीम से फायदा होना है तो उनको आधार कार्ड की आवश्यकता नहीं होगी।
MONEY BILL-
- Introduced only in Lok Sabha
- Definition Article-110
- अंतिम निर्णय – लोकसभा स्पीकर।
- राज्यसभा मतदान नहीं कर सकती।
- संयुक्त बैठक नहीं बुलाई जा सकती।
- राज्यसभा अस्वीक्त या संशोधित नहीं कर सकती बल्कि लोकसभा को सिफारिश भेज सकती है।
- सभी धन विधेयक, वित्त विधेयक है किन्तु सभी वित्त विधेयक, धन विधेयक नहीं है।