बजट 2019-20 विशेष विश्लेषण
-: कृषि एवं किसान कल्याण :-
- ग्रामीण अवसंरचना विकास
- स्वास्थ्य क्षेत्र
- एमएसएमई क्षेत्र
- महिला एवं बाल विकास क्षेत्र
- खाद्य सुरक्षा एवं पोषण सुरक्षा
- वित्तीय समावेशन
- शिक्षा क्षेत्र
कृषि एवं किसान:-
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना –
- एक मत्स्य पालन प्रबंधन संरचना की स्थापना।
- इसके माध्यम से मूल्य श्रृंखला में गंभीर अंतर की समस्या से निपटा जाएगा।
- सहकारिता के माध्यम से दूध की खरीद, प्रसंस्करण और बिक्री हेतु अवसंरचना के निर्माण द्वारा डेयरी को प्रोत्साहन पर बल।
किसान उत्पादन संगठन –
- यह किसानों के लिए इकोनाॅमी आॅफ स्केल का कार्यकरता है।
- 10000 किसान केन्द्र बनाए जाएगें।
शून्य बजट प्राकृतिक कृषि –
- इसमें 2022 तक किसानों की आय दोगूनी करने का लक्ष्य है।
कृषि उत्पादक संगठन – इकोनाॅमी आॅफ स्केल का कार्य कैसे ?
- यह सहकारी और निजी कंपनियों के बीच हाइब्रिड के रूप में काम करते है।
- यह सरकारी एजेंसियों के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत कृषि वस्तुओं की खरीद में उप-एजेंट के रूप में कार्य करते है।
- FPO सदस्यो से उत्पाद खरीदकर संगठित तरीके से विपणन करने का काम करते है।
- बैंकों के साथ तालमेल बनाकर सदस्यों को कर्ज उपलब्ध कराने का काम करते है।
शून्य लागत प्राकृतिक कृषि:-
- सुभाष पालेकर ने सबसे पहले इसकी शुरूआत की थी।
- इसकी चार प्रक्रियाएं निम्न है –
- बीजामृत – बीजों पर गोबर एवं गौमूत्र का लेप।
- जीवामृत – भूमि पर गोबर, गौमूत्र दलहन के चूरे, पानी का छिड़काव।
- आच्छादन – मिट्टी की सतह पर जैव सामग्री की परत।
- वाफसा -मिट्टी में हवा एवं वाष्प के कणों का समान मात्रा में निर्माण करना।
- 2015 में इस तकनीक को आंध्रप्रदेश सरकार द्वारा अपनाया गया।
- प्रमुख NGO- रैयत साधिकारा संस्था इस दिशा में कार्य कर रही है।
- इस तकनीक से खेती-किसानी करने की लागत लगभग शून्य हो जाती है।
- इस तकनीक से मृदा उर्वरता बनी रहती है साथ कम जल से ज्यादा उत्पादन।
- यह तकनीक पारिस्थितिक तंत्र के अनुकूल है।
कृषि पर्यटन:-
- वैश्विक स्तर पर कई देशों जैसे – आस्ट्रेलिया, कनाडा, यूएसए एवं फिलीपींस आदि के किसान कृषि पर्यटन से वर्तमान में अच्छी आय अर्जित कर रहे है।
- देश में कृषि पर्यटन को बढ़ावा देने में राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, सिक्किम, हरियाणा एवं पंजाब राज्य अग्रणी है।
- इसके अंतर्गत गोबर से लीपा आंगन, बकरी का दूध, गन्ने की पेराई, पईन से खेतों की सिंचाई आदि परम्पराएं कृषि पर्यटन के तौर पर विकसित किया जा सकता है।
- खेतों में काॅटेज (झोपड़ी) बनाकर पर्यटकों को आकर्षित करना।
ग्रामीण अवसंरचना विकास:-
- जल जीवन मिशन –
- 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में नल से पानी की आपूर्ति।
- स्थानीय स्तर पर जल की एकीकृत मांग और आपूर्ति का प्रबंधन।
- वर्षाजल संचयन, भूजल रिचार्ज और घरेलू व्यर्थ जल का कृषि में पुनः उपयोग हेतु प्रबंधन।
- ऊर्जा –
- “वन नेशन, वन ग्रिड” प्लान के माध्यम से हर घर को बिजली मिलेगी।
- पूरे देश में एक समान टैरिफ लागू करने की तैयारी की जा रही है।
- परिवहन –
- बेहतर यातायात के लिए ग्रामीण बाजार से गांवों को जोड़ने के लिए सड़कों को अपग्रेड किया जाएगा।
- PMGSY के तीसरे चरण में 1,25,000 किमी. लंबी सड़क को अगले पांच वर्षों में अपग्रेड किया जाएगा।
- ग्रामीण उद्योगों का विकास –
- वैल्यू चैन को सुदृढ़ बनाने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का प्रस्ताव किया। जिसके अंतर्गत –
- बुनियादी ढांचे का विकास।
- आधुनिकीकरण।
- उत्पादन क्षमता तथा गुणवत्ता नियंत्रण।
- पारस्परिक उद्योग पुनर्जीवन निधि योजना (स्फूर्ति) – रोजगार के टिकाऊ अवसरों के सृजन के लिए पारस्परिक उद्योगों को ओर अधिक उत्पादक लाभदायक एवं सक्षम बनाने के लिए कलस्टर आधारित विकास में आसानी के लिए साझा सुविधा केन्द्र स्थापित किए जाएगें।
- नवाचार, ग्रामीण उद्योग एवं उद्यमिता प्रोत्साहन योजना (एस्पायर) – 2019.20 में 80 आजीविका व्यापार इंक्यूबेटर और 20 औद्योगिकी व्यापार इंक्यूबेटर स्थापित किए जाएगें।
- वैल्यू चैन को सुदृढ़ बनाने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का प्रस्ताव किया। जिसके अंतर्गत –
- डिजिटल क्रांति :- प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान की सफलता का विवरण देने के साथ ही डिजिटल साक्षरता के साथ ग्रामीण और शहरी भेद को दूर करने के लिए भारतनेट के तहत हर ग्राम पंचायत को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।
-: स्वास्थ्य क्षेत्र :-
- रसायन और उर्वरक मंत्रालय तथा पेट्रो रसायन विभाग ने 1000 ओर जन औषधि स्टोर खोलने का प्रस्ताव किया।
- चिकित्सा उपकरणों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया गया है ताकि घरेलू क्षेत्र को बढ़ावा मिले।
- स्वास्थ्य नीति 2017 का स्वास्थ्य पर खर्च GDP का 2.5% रखने का लक्ष्य रखा।
- स्वास्थ्य पर पैसा खर्च करने की मद –
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्रों के माध्यम से प्राथमिक केन्द्रों को मजबूत करने की मद।
- द्वितीयक-तृतीयक स्तर की सेवाओं के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना के जरिए मांग पक्ष को सुदृढ़ करने की मद।
- स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों पर और अधिक ध्यान देना।
- स्वास्थ्य ढंाचा मजबूत करने के उपाय:-
- स्वास्थ्य सेवाएं इस तरह से तैयार की जाएं जिससे वे देश की लगातार बढ़ रही बुजुर्ग आबादी की आवश्यकताओं को पूरा कर सके।
- शहरी इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रणाली को मजबूत करने के लिए पूंजी निवेश की आवश्यकता है।
- स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों पर खर्चा नियोजित तरीके से बढ़ाना जाना चाहिए।
- नीतियां बनाना और संचालनात्मक नियोजन अत्यंत विशेषसता वाला क्षेत्र है।
-ः शिक्षा क्षेत्र:-
- शोध की दिशा में समन्वय को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रीय रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना।
- भारत को ग्लोबल उच्च शिक्षा हब बनाने और उच्च शिक्षा हेतु विदेशी छात्रों को आकर्षित करने हेतु
- भारत में पढ़ें “स्टडी इन इंडिया” कार्यक्रम।
- अधिक स्वायतता और अकादमिक उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना।
- “खेलो इंडिया” योजना के तहत खेलों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खेल शिक्षा बोर्ड की स्थापना।
-: एमएसएमई क्षेत्र (MSME) :-
- पूरी अर्थव्यवस्था में कुल मूल्य का तकरीबन 1/3 हिस्सा इससे है।
- देश का 1/3 विनिर्माण उत्पादन इस क्षेत्र के जरिये।
- देश के सभी प्रतिष्ठानों में तीन चैथाई इस क्षेत्र के है।
- विनिर्माण संबंधी GDP में 6.11% हिस्सेदारी है।
- सेवा संबंधी GDP में 24.63 प्रतिशत का योगदान है।
- 12 करोड़ लोगों का रोजगार सृजक क्षेत्र है।
- भारत के कुल निर्यात में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 45% है।
MSME सहायक है:-
- रोजगार का सजृन – MSME में कम पूंजी से उत्पादन संभव है और इस क्षेत्र में पूंजी श्रम का अनुपात बड़े उद्योगों के मुकाबले ज्यादा अनुकूल है।
- सतत् आर्थिक विकास एवं निर्यात में बढोत्तरी –
- गैर पारंपरिक उत्पादों के निर्यात में हिस्सेदारी है।
- बड़े उद्योगों के सहायक उद्योग के रूप में काम करती है।
- समावेशी विकास को बढ़ावा –
- आजीविका का साधन।
- लोगों का सशक्तीकरण करता है।
MSME के समक्ष चुनौतियां:-
- बाजार तक सीमित पहुंच।
- तकनीक की अनुपलब्धता।
- ऊर्जा अक्षमता और ऊंची लागत।
- प्रमाणीकरण एवं मानकीकरण में देरी।
- बौद्धिक संपदा से संबंधित मुद्दे।
MSME के लिए सरकारी पहल:-
- कर्ज की उपलब्धता –
- 59 मिनट वाले लोन पोर्टल की शुरूआत। 1 करोड़ तक का कर्ज मंजूर।
- GST रजिस्टर्ड सभी MSME को दिये जाने वाले कर्ज पर ब्याज में 2% सब्सिडी का भी प्रावधान।
- बाजार की उपलब्धता – सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए अब अपनी कुल खरीद का 25% हिस्सा MSME से खरीदना जरूरी।
- बेहत्तर तकनीक – देश भर में 20 तकनीकी हब स्थापित किए जाएगें।
- कारोबार करने में सुगमता – कारोबार संबंधी मंजूरी व प्रमाणीकरण प्राप्त करने के लिए कई उपाय।
- कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा –
- PMJDY
- भविष्य निधि।
- बीमा की सुविधा।
-: महिला एवं बाल विकास क्षेत्र :-
“नारी तू नारायणी”
- महिला केन्द्रित नीति से महिला नेतृत्व को पहल –
- सभी जिलों में महिला स्वयंसहायता समूह ब्याज सववेंशन प्रोग्राम।
- स्वयं सहायता समूह की प्रत्येक सत्यापित महिला सदस्य जिसका जन-धन-बैंक खाता है हेतु 5000/- की ओवर ड्राफ्ट सुविधा।
- प्रत्येक स्वयंसहायता समूह की एक महिला सदस्य मुद्रा योजना के तहत एक लाख रूपये तक के ऋण।
- वित्तीय समावेशन – UNDP की परिभाषा के अनुसार “वित्तीय समावेशन से अभिप्राय है आर्थिक और सामाजिक विकास की वह प्रक्रिया जिसमें देश के हर तबके के लोग भाग लें और जिसका लाभ उन सभी को बराबर रूप से मिले।”
- खाद्य सुरक्षा V/S पोषण सुरक्षा:-
- FAO – खाद्य सुरक्षा एक ऐसी स्थिति है जब सभी लोग, हर समय पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन के लिए भौतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से पहंुच रखते है तथा एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन जीने के लिये अपनी आहार संबंधी जरूरतों और भोजन वरीयताओं को पूरा कर सकते है।
- FAO – पोषण सुरक्षा एक ऐसी स्थिति है जिसमें परिवार के सभी सदस्यों के लिए स्वस्थ और सक्रिय जीवन सुनिश्चित करने हेतु उचित पौष्टिक आहार के साथ-साथ एक साफ-सुथरा एवं सुरक्षित वातावरण तथा पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं व देखभाल की सुरक्षित पहुंच हो।
- फुड फोर्टिफिकेशन:-
- भोज्य पदार्थो में विटामिन और खनिज लवणों जैसे सुक्ष्म पोषक तत्व मिलाने की एक सकारात्मक विधि है।
- यह पोषण संबंधी कमियों को दूर करने के लिए पहल है।
- भारत की राष्ट्रीय पोषण कार्यनीति (2017) ने एनीमिया, विटामिन ए और आयोडीन की कमियों को दूर करने के लिए –
- पूरक आहार (फूड सप्लिमेंटेशन)
- आहार विविधीकरण (डाइटरी डायवर्सिफिकेशन)
- फूड फोर्टिफिकेशन।